सुनील कुशवाहा की रिपोर्ट
झारखंड में राशन कार्ड से लाखों नाम हटाए जाने का खतरा है जिससे गरीब लोग राशन से वंचित हो सकते हैं। भोजन का अधिकार अभियान ने मुख्यमंत्री से इसे रोकने की मांग की है। ई-केवाईसी में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं जिससे वृद्ध और दिव्यांग लोग परेशान हैं। अभियान ने चेतावनी दी है कि इससे कुपोषण बढ़ सकता है। गरीबों के भोजन के अधिकार को सुरक्षित रखना जरूरी है।

झारखंड में बड़े पैमाने पर राशन कार्ड से नाम विलोपित होने का खतरा मंडरा रहा है, जिससे लाखों गरीब और जरूरतमंद लोग राशन के हक से वंचित हो सकते हैं। भोजन का अधिकार अभियान ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर राशन कार्ड डिलीशन (विलोपन) पर रोक लगाने की मांग उठाई है
जन वितरण प्रणाली के आहार पोर्टल के अनुसार 14 जुलाई तक 74.6 लाख लोगों का ई-केवाईसी बाकी है, जिसमें 8.24 लाख राशन कार्ड में एक भी सदस्य का सत्यापन नहीं हुआ है।तकनीकी और व्यवस्थागत खामियों जैसे वृद्ध-दिव्यांगों की असमर्थता, ईपोस मशीनों की खराबी और प्रवासी मजदूरों की जानकारी की कमी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।अभियान ने सतर्क किया है कि बड़े पैमाने पर राशन कार्ड विलोपन से गरीब परिवार भूख और कुपोषण की जद में आ सकते हैं। इससे वृद्ध, दिव्यांग, बच्चे और सुदूर क्षेत्रों के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।विशेष रूप से आदिम जनजाति परिवारों को बिना सत्यापन के सुरक्षित रखने की मांग की गई है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 30 जून तक ई-केवाईसी अनिवार्य किया था, लेकिन तकनीकी समस्याओं ने इसे चुनौतीपूर्ण बना दिया है।


