सुनील के कुशवाहा की रिपोर्ट
जुल्म, अत्याचार एवं शोषण के खिलाफ अनवरत संघर्ष करने वाले वीर शहीद निर्मल महतो का नाम झारखंड के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है। उनका एकमात्र सपना था—झारखंड अलग राज्य बने, ताकि यहां के लोगों को शोषण, उत्पीड़न, अत्याचार और भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाई जा सके।अलग राज्य की लड़ाई के लिए उन्होंने युवाओं को संगठित किया और आंदोलन की अलख जगाई। उनके नेतृत्व और आजसू युवाओं के आक्रोशपूर्ण प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप भारत सरकार आजसू के प्रतिनिधियों से वार्ता के लिए तैयार हुई। विशेष विमान से आजसू के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली बुलाया गया, जहां केंद्र सरकार ने झारखंड राज्य गठन पर सहमति जताई थी।जब झारखंड आंदोलन अपने चरम पर था, तभी राजनीतिक षड्यंत्र के तहत निर्मल महतो की हत्या कर दी गई—जो झारखंड के इतिहास का एक काला अध्याय है। झारखंड राज्य के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले निर्मल दा को भुलाया नहीं जा सकता।इस अवसर पर पार्टी के जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा, केंद्रीय सचिव श्रीमती चंपा देवी, केंद्रीय सचिव शंकर प्रताप विश्वकर्मा, केंद्रीय सदस्य नंदू ठाकुर, केंद्रीय सदस्य संतोष केसरी, डॉ. इश्तियाक रजा, युवा आजसू के प्रदेश संयोजक रविंद्र नाथ ठाकुर, जिला सचिव लाल मोहम्मद अंसारी एवं जिला सदस्य संजय शर्मा उपस्थित थे।



